बीरभूम की हिंसाः बंगाल की राजनीति के स्याह पहलू का सच
- प्रभाकर मणि तिवारी
- बीबीसी हिंदी के लिए, कोलकाता से
पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले के बोगटुई गांव में आठ लोगों को ज़िंदा जला कर मारने की घटना लगता है कि राज्य की राजनीति में वर्चस्व के लिए पुरानी और लगातार चलने वाली लड़ाई का नतीजा है.
ऐसी ही किसी बड़ी घटना होने के बाद धीरे-धीरे यह बातें सामने आने लगती हैं. टीएमसी नेता और बड़साल ग्राम पंचायत के उप-प्रधान भादू शेख की राजनीति में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की की कहानी किसी फ़िल्मी पटकथा जैसी लगती है.
यही तरक्की उनकी मौत की वजह भी बन गई. पहले रिक्शा वैन चलाने वाले भादू किस तरह गांव के मसीहा के तौर पर उभरे थे, यह जानना कम दिलचस्प नहीं है.
वैन चलाने वाले भादू ने बाद में गांव में ही ट्रैक्टर चलाना शुरू किया था. उसके बाद वे रामपुरहाट थाने की एक गाड़ी चलाने लगे. पुलिसवालों के साथ बढ़ती दोस्ती के कारण गांव में भादू का दबदबा बढ़ता रहा. अपने इस दबदबे को बरकरार रखने के लिए ही उन्होंने टीएमसी में शामिल होने का फ़ैसला किया.